जैविक खाद

गाय की सींग की खाद

गाय की सींग गाय का रक्षा कवच है। गाय को इसके द्वारा सीधे तौर पर प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। यह एक प्रकार से गाय को ईश्वर द्वारा प्रदत्त एंटीना उपकरण है। गाय की मृत्यु के 45 साल बाद तक भी यह सुरक्षित बनी रहती है। गाय की मृत्यु के बाद उसकी सींग का उपयोग श्रेठ गुणवत्ता की खाद बनाने के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। सींग खाद भूमि की उर्वरता ब़ाते हुए मृदा उत्प्रेरक का काम करती है जिससे पैदावार बढ जाती है।

निर्माण सामग्री:
 गाय की सींग, गोबर, बाल्टी

जैव उर्वरक

जैव उर्वरक जीवाणु खाद है। इसमें मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु वायु-मंडल में पहले से विद्यमान नाइट्रोजन फसल को उपलब्ध करवाते हैं और मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को पानी में घुलनशील बनाकर पौधों को देते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह सिद्ध हुआ है कि जैविक खाद के उपयोग से 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर भूमि को मिलती है और उपज 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसी तरह फास्फो बेक्टीरिया और माइकोराईजा उर्वरक के उपयोग से खेत में फॉस्फोरस की उपलब्धता में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के बदले अगर जैविक खाद का उपयोग किया जाता है तो उत्पादकता में

मटका खाद

देशी गाय का 10  लीटर गौमूत्र , 10 किलोग्राम ताजा गोबर, आधा किलोग्राम  गुड , आधा किलो चने का बेसन सभी को मिलाकर 1 बड़े मटके में भरकर 5-7 दिन तक सडाएं इससे उत्तम जीवाणु कल्चर तैयार होता है. मटका खाद को 200 लीटर पानी में घोलकर किसी भी फसल में गीली या नमीयुक्त जमीन में फसलों की कतारों के बीच में अच्छी तरह से प्रति एकड़ छिडकाव करें . हर 15 दिन बाद इस क्रिया को दोहराएं . इस तरह फसल भी अच्छी होगी , पैदावार भी बढ़ेगी , जमीन भी सुधरेगी और किसी भी तरह के खाद की आवश्यकता नहीं पड़ेगी .

हरी खाद "एक वरदान"

मृदा उर्वरकता एवं उत्पादकता बढ़ाने में का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। सधन कृषि पद्धति के विकास तथा नगदी फसलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल बढ़ने के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चिय ही कमी आई लेकिन बढ़ते ऊर्जा संकट, उर्वरकों के मूल्यों में बृद्धि तथा गोबर की खाद एवं अन्य कम्पोस्ट जैसे कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्व और बढ़ गया है।

जीवामृत

जीवामृत : (एक एकड़ हेतु)
सामग्री :-
1. 10 किलोग्राम देशी गाय का गोबर
2. 5 से 10 लीटर गोमूत्र
3. 2 किलोग्राम गुड या फलों के गुदों की चटनी
4. 2 किलोग्राम बेसन (चना, उड़द, मूंग)
5. 200 लीटर पानी
6. 50 ग्राम मिट्टी

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