धान का भण्डारण

वर्ष भर धान की उपलब्धता बनी रहे इसके लिये इसका उचित भंडारण जरूरी है। भण्डारण के पूर्व धान में नमी की मात्रा सुरक्षित करनी चाहिए। लम्बी अवधि के भण्डारण हेतु नमी की मात्रा 12 प्रतिशत एवं अल्पावधि भण्डारण हेतु 14 प्रतिशत होनी चाहिए। भण्डारण से पहले या बाद मे भंडारित कीटो से बचाव का भी प्रबंध करना आवश्यक है। भण्डारण हेतु विभिन्न आकारों, किस्मों एवं सामाग्रियों के बने पात्र प्रयोग किए जाते हैं। ये मिट्टी, लकड़ी, बांस, जूट की बोऱियों, ईंटों कपड़ो आदि जैसी स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री से बनाए जाते हैं। यद्यपि ऐसे पात्रों में लम्बी अवधि हेतु भण्डारण संभव नहीं होता है क्योंकि इनमें वायुरोधक क्षमता नहीं होती है। लम्बी अवधि तक भण्डारण के लिये पूसा कोठी, धात्विक बिन, साइलो आदि का प्रयोग किया जाता है। भण्डारण अवधि में समय-समय पर हवा का आवागमन करते रहना चाहिए।

जैविक खेती: