जैविक कीटनाशकों से लाभ

  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण, जैविक कीटनाशक लगभग एक माह में भूमि में मिलकर अपघटित हो जाते है तथा इनका कोई भी अंश अवशेष नही रहता | यही कारण है इन्हें परिस्तिथतकीय मित्र के रूप में जाना जाता है |
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों एवं बिमारियों को मारते है जब की कीटनाशक से मित्र कीट भी नष्ट हो जाते है |
  • जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों/व्याधियों में सहनशीलता एवं प्रतिरोध नही उत्पन्न होता जबकि अनेक रसायन कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न होती जा रही है जिनके कारण उनका प्रयोग अनुपयोगी होता जा रहा है |
  • जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों के जैविक स्वभाव में कोई परिवर्तन नही होता जबकि रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से ऐसे लक्षण परिलक्षित हुए है | सफ़ेद मक्खी अब अनेक फसलों तथा चने का छेदक अब कई अन्य फसलों को भी नुकसान पहुँचाने लगा है |
  • जैविक कीटनाशकों के प्रयोग के तुरंत बाद फलियों, फलों, सब्जियों की कटाई कर प्रयोग में लाया जा सकता है जबकि रासायिनक कीटनाशकों के अवशिष्ट प्रभाव को कम करने के लिए कुछ दिनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है |
  • जैविक कीटनाशकों के सुरक्षित, हानिरहित तथा परिस्तिथतकीय मित्र होने के कारण विश्व में इनके प्रयोग से उत्पादित चाय, कपास, फल, सब्जियां, तम्बाकू तथा खद्ध्यानो, दलहन एवं तिलहन की मांग एवं मूल्यों में वृद्धि हो रही है, जिसका परिणाम यह है की कृषकों को उनके उत्पादों का अधिक मूल्य मिल रहा है |
  • जैविक कीटनाशकों के विषहीन एवं हानिरहित होने के कारण ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में इनके प्रयोग से आत्महत्या की सम्भावना शून्य हो गयी है जबकि कीटनाशी रसायनों से अनेक आत्म हत्यांए हो रही है |
  • जैविक कीटनाशक पर्यावरण, मनुष्य एवं पशुओं के लिए सुरक्षित तथा हानिरहित है | इनके प्रयोग से जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है जो पर्यावरण एवं परिस्तिथतकीय का संतुलन बनाये रखने में सहायक है |