फेरोमोन ट्रैप से पकड़ें फसलों के कीट

Pheromone Trap

फेरोमोन ट्रैप को गंधपाश भी कहते हैं। इस तरीके में प्लास्टिक के एक डिब्बे में ल्योर लगाकर टांग देते हैं। ल्योर में फेरोमोन द्रव्य की गंध होती है जो आस-पास मौजूद नर कीटों को डिब्बे की ओर आकर्षित करती है। ये डिब्बे फंदे की तरह बने होते हैं जिसमें कीट अंदर जाने के बाद बाहर नहीं आ पाते हैं।
इससे सबसे बड़ा फायदा कीटों को पहचानने में होता है क्योंकि इसमें सारे कीट एक जगह इकठ्ठïा हो जाते हैं। जिससे यह पता चल जाता है कि खेत में कौन-कौन से कीट लगे हैं और इनकी प्रति एकड़ मात्रा कितनी है। एक बार कीटों की पूरी जानकारी मिलने पर सही उपाय भी किये जा सकते हैं। फेरोमोन ट्रैप को प्रति एकड़ 4-5 तक की संख्या में लगाया जाना चाहिए।

क्या है फेरोमोन 
* यह एक प्रकार की विशेष गंध होती है, जो मादा पतिंगा छोड़ती हैं। जो कि नर पतंगों को आकर्षित करता है। विभिन्न कीटो द्वारा विभिन्न प्रकार के फेरोमोन छोड़े जाते हैं।
मास टै्रङ्क्षपग
* कई सारे फेरोमोने ट्रैप का उपयोग कीटों को अधिक से अधिक समूह में पकडऩे के लिए भी किया जाता है। जिससे नर कीट ट्रैप हो जाएं और मादा कीट अंडा देने से वंचित रह जाएं।
कैसे उपयोग करें
* खेतों में इस ट्रैप को सहारा देने के लिए एक डंडा गाडऩा होता हैं। इस डंडे के सहारे छल्ले को बांधकर इसे लटका दिया जाता है। ऊपर के ढक्कन में बने स्थान पर ल्योर को फंसा दिया जाता है तथा बाद में छल्लों में बने पैरों पर इसे कस दिया जाता हैं। कीट एकत्र करने की थैली को छल्ले में विधिवत लगाकर इसके निचले सिरे को डंडे के सहारे एक छोर पर बांध दिया जाता है। इस ट्रैप की ऊंचाई इस प्रकार से रखनी चाहिए की ट्रैप का उपरी भाग फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फुट ऊपर रहे।

ट्रैप का निर्धारण व सघनता
* प्रत्येक कीट के नर पतिंगों को बड़े पैमाने पर एकत्र करने के लिए सामान्यत: दो से चार ट्रैप प्रति एकड़ प्रर्याप्त हैं। एक ट्रैप से दूसरे ट्रैप की दूरी 30-40 मीटर रखनी चाहिए। इस ट्रैप को खेत में लगा देने के उपरांत इनमे फसे पतिंगों की नियमित जांच की जानी चाहिए और पाए गए पतिंगे का आंकड़ा रखना चाहिए जिससे उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखा जा सके। बड़े पैमाने पर कीड़ों को पकड़कर मरने के उदेश्य से जब इसका उपयोग किया जाए तो थैली में एकत्र कीड़ों को नियमित रूप से नष्ट कर थैली को बराबर खाली करते हैं जिससे उसमें नए कीड़ों को प्रवेश पाने का स्थान बना रहे। इस नई तकनीक का लाभ यह है कि किसान अपने खेतों पर कीड़ों की संख्या का आंकलन कर कीटनाशकों के उपयोग की रणनीति निर्धारित कर अनावश्यक रासायनिक उपचार से बच जाए।

”किसान अगर फूल बनने की प्रक्रिया शुरु होने से पहले ट्रैप लगा दे, तो खेतों में कीटों की संख्या को नियंत्रित करने में आसानी रहेगी। वरना कीटों की संख्या अचानक बढ़ते ही किसान सीधे रासायनिक कीटनाशक डाल देता है। जो कि सबसे आखरी तरीका होना चाहिए।”

साभार: गाँव कनेक्शन