फ़सल अवशेषों ना जलाऐं, इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढाऐं

हमारे देश में फ़सलों के अवशेषों (Crop Residue) का उचित प्रबन्ध करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है या कहें कि इसका उपयोग मृदा में जीवांश पदार्थ अथवा नत्रजन की मात्रा बढाने के लिये नही किया जाकर इनका अधिकतर भाग या तो दूसरे घरेलू उपयोग में किया जाता है या फ़िर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है जैसे कि गेहूं, गन्ने की हरी पत्तियां, आलू, मूली, की पत्तियां पशुओं को खिलाने में उपयोग की जाती है या फ़िर फ़ेंक दी जाती हैं। कपास, सनई, अरहर आदि के तने गन्ने की सूखी पत्तियां, धान का पुआल आदि सभी अधिकतर जलाने के काम में उपयोग कर लिये जाते हैं।

हमारे देश में हम फ़सल अवशेषों का उचित उपयोग न कर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं जबकि यदि इन अवशेषों को सही ढंग से खेती में उपयोग करें तो इसके द्वारा हम पोषक तत्वों के एक बहुत बढे अंश की पूर्ति इन अवशेषों के माध्यम से पूरा कर सकते हैं।

आस्ट्रेलिया, रूस, जापान व इंग्लैंड आदि विकसित देशों में इन अवशेषों को कम्पोस्ट बनाकर खेत में डालते हैं या इन्हें खेत में अच्छी प्रकार मृदा में मिलाकर सडाव की क्रिया को सुचारु रुप से चलाने के लिये समय समय पर जुताई करते रहते हैं।

फ़सल अवशेषों का उचित प्रबन्ध करने के लिये आवश्यक है कि अवशेष ( गन्ने की पत्तियों, गेहूं के डंठलों ) को खेत में जलाने की अपेक्षा उनसे कम्पोस्ट तैयार कर खेत में प्रयोग करें। उन क्षेत्रों में जहां चारे की कमी नहीं होती वहां मक्का की कडवी व धान की पुआल को खेत में ढेर बनाकर खुला छोडने के बजाय गडढों में कम्पोस्ट बनाकर उपयोग करना आवश्यक है। आलू तथा मूंग फ़ली जैसी फ़सलों को खुदाई कर बचे अवशेषों को भूमि में जोत कर मिला देना चाहिये। मूंग व उर्द की फ़सल में फ़लियां तोडकर खेत में मिला देना चाहिये। इसी प्रकार यदि केले की फ़सल के बचे अवशेषों से यदि कम्पोस्ट तैयार कर ली जाय तो उससे 1.87 प्रतिशत नत्रजन 3.43 प्रतिशत फ़ास्पोरस तथा 0.45 प्रतिशत पोटाश मिलता है।

फ़सल की कटाई के बाद खेत में बचे अवशेष घास.फ़ूंस, पत्तियां व ठूंठ आदि (Crop Residue) को सडाने के लिये किसान भाई फ़सल को काटने के पश्चात 20-25 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हैक्टर की दर से छिडक कर कल्टीवेटर या रोटावेटर से काटकर मिट्टी में मिला देना चाहिये इस प्रकार अवशेष खेत में विघटित होना प्रारम्भ कर देंगे तथा लगभग एक माह में स्वंय सडकर आगे बोई जाने वाली फ़सल को पोषक तत्व प्रदान कर देंगे क्योंकि कटाई के पश्चात दी गई नाइट्रोजन अवशेषों में सडन की क्रिया (Decomposition) को तेज कर देती है। अगर फ़सल अवशेष खेत में ही पडे रहे तो फ़सल बोने पर जब नई फ़सल के पौधे छोटे रहते हैं तो वे पीले पड जाते हैं क्योंकि उस समय अवशेषों के सडाव में जीवाणु भूमि की नाइट्रोजन का उपयोग कर लेते है तथा प्रारम्भ में फ़सल पीली पड जाती है अत फ़सल अवशेषों का प्रबन्ध करना अत्यन्त आवश्यक है तभी हम अपनी जमीन में जीवांश पदार्थ (Organic matter) की मात्रा में वृद्धि कर जमीन को खेती योग्य सुरक्षित रख सकते हैं

साभार: कृषि सेवा