एक उत्तम कोटि का खाद कृमि खाद

VermiCompost, Compost

अपशिष्ट या कूड़ा-करकट का मतलब है इधर-उधर बिखरे हुए संसाधन। बड़ी संख्या में कार्बनिक पदार्थ कृषि गतिविधियों, डेयरी फार्म और पशुओं से प्राप्त होते हैं जिसे घर के बाहर एक कोने में जमा किया जाता है। जहाँ वह सड़-गल कर दुर्गंध फैलाता है। इस महत्वपूर्ण संसाधन को मूल्य आधारित तैयार माल के रूप में अर्थात् खाद के रूप में परिवर्तित कर उपयोग में लाया जा सकता है। कार्बनिक अपशिष्ट का खाद के रूप में परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य केवल ठोस अपशिष्ट का निपटान करना ही नहीं अपितु एक उत्तम कोटि का खाद भी तैयार करना है जो हमारे खेत को उचित पोषक तत्व प्रदान करें।
 

ड्रिप सिंचाई प्रणाली सिंचाई की लाभकारी प्रणाली

ड्रिप सिंचाई प्रणाली फसल को मुख्यश पंक्ति, उप पंक्ति तथा पार्श्व पंक्ति के तंत्र के उनकी लंबाईयों के अंतराल के साथ उत्सर्जन बिन्दु का उपयोग करके पानी वितरित करती है। प्रत्येक ड्रिपर/उत्सार्जक, मुहाना संयत, पानी व पोषक तत्वों तथा अन्यक वृद्धि के लिये आवश्यहक पद्धार्थों की विधिपूर्वक नियंत्रित कर एक समान निर्धारित मात्रा, सीधे पौधे की जड़ों में आपूर्ति करता है।

Drip Irrigation, Saving water, Agriculture

जैविक खेती , खेतो और किसानो के लिए वरदान

Organic Farming

Organic Farming जैविक खेती को नाम वैज्ञानिको ने दिया है क्योंकि वो वर्तमान में हो रही खेती को पारम्परिक खेती मानते है | वैसे अगर भारत की बात करे तो भारत में आजादी से पहले पारम्परिक खेती जैविक तरीके से ही की जाती थी जिसमे किसी भी प्रकार के रसायन के बिना फसले पैदा की जाती थी लेकिन आजादी के बाद भारत को फसलो के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए हरित क्रान्ति की शुरुवात हुयी जिसमे रसायनों और कीटनाशको की मदद से उन फसलो का भी भरपूर मात्रा में उत्पादन किया जाने लगा जिसके बारे में कभी सोच भी नही सकता था | हरित क्रान्ति के कारण गेंहू म ज्वार , बाजरा और मक्का की खेती में काफी विकास हुआ था |

जैविक खेती के लिए नाडेप कम्पोस्ट खाद और अमृत जल बनाने की विधिया

जैविक खेती सस्ती तो है ही , जीवन और जमीन को बचाने के लिए भी जरुरी है | 1960 से 1990 तक कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिस तेजी से और जिस तरह रासायनिक खादों और कीटनाशको का इस्तेमाल किया गया है उसने हमारे खेतो और जीवन दोनों को संकट में डाल दिया है | तब पर्यावरण की अनदेखी की गयी थी जिसकी कीमत हम आज चूका रहे है |

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