कृषि विधियों के नाम

सेरीकल्चर -- रेशमकीट पालन
एपिकल्चर -- मधुमक्खी पालन
पिसीकल्चर -- मत्स्य पालन
फ्लोरीकल्चर -- फूलों का उत्पादन
विटीकल्चर -- अंगूर की खेती
वर्मीकल्चर -- केंचुआ पालन
पोमोकल्चर -- फलों का उत्पादन
ओलेरीकल्चर -- सब्जियों का उत्पादन
हॉर्टीकल्चर -- बागवानी
एरोपोर्टिक -- हवा में पौधे को उगाना
हाइड्रोपोनिक्स -- पानी में पौधों को उगाना

अंगूर की खेती- कैसे करें

हमारे देश में व्यावसायिक रूप से अंगूर की खेती पिछले लगभग छः दशकों से की जा रही है और अब आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण बागवानी उद्यम के रूप से अंगूर की खेती काफी उन्नति पर है। आज महाराष्ट्र में सबसे अधिक क्षेत्र में अंगूर की खेती की जाती है तथा उत्पादन की दृष्टि से यह देश में अग्रणी है। भारत में अंगूर की उत्पादकता Grapes Cropपूरे विश्व में सर्वोच्च है। उचित कटाई-छंटाई की तकनीक का उपयोग करते हुए मूलवृंतों के उपयोग से भारत के विभिन्‍न क्षेत्रों में अंगूर की खेती की व्‍यापक संभावनाएं उजागर हुई हैं।

"पतली कमर पर ढुंगे पै चोटी कोन्या !! सै कुम्हारी पर कुम्हारों आली कोन्या !!"

असल में यह तो भीरड़-ततैयों वाले कुनबे की सै। अपना जापा काढण ताहि यह ततैया चिकनी मिटटी से छोटे-छोटे मटकों का निर्माण करती है। इसीलिए किसानों ने इसका नाम कुम्हारी रख लिया। वैसे तो इस ततैया की दुनिया भर में सैकड़ों प्रजातीय पाई जाती होंगी पर निडाना की कपास व् धान की फसल में तो अभी तक किसानों ने यही एक प्रजाति देखी है। यह कीट एकांकी जीवन जीने का आदि है मतलब समूह की बजाय अकेले-अकेले रहना पसंद करता है। काली, पीली व् गुलाबी छटाओं वाली इस ततैया की शारीरिक लम्बाई तकरीबन 15 -17  मी.मी.

टमाटर की पौध तैयार करना

टमाटर की पौध तैयार करना
पौध तैयार करने के लिये जमीन की सतह से 15 से 20 सेन्टी मीटर ऊचाई की क्यारी बनाकर इसमे बीज की बुवाई करते है। बीज की बुवाई करते समय बीज को मिट्टी मे ढेड से दो सेन्टीमीटर गहराई मे लगाते है तथा पक्तियों में बुवाई करते है। बीज की बुवाई के बाद क्यारी की ऊपरी सतह पर सडी हुई गोबर की खाद की पतली परत डालते है। तेज धूप, बरसात व ठंड से बचाने के लिए घास फूस से क्यारी को ढक देते है।  पूर्ण रूप से बीज अंकुरित हो जाने पर घास फूस हटा देना चाहिये।
पौध की रोपाई

Pages