नीलगाय के आतंक से न हों परेशान
अन्नदाताओं को अब नीलगाय के आतंक से परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब उन्हें बिना मारे ही इनके आतंक से छुटकारा मिलेगा, वहीं फसलों की भी सुरक्षा होगी। नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए हर्बल घोल तैयार किया जाता है जिसके प्रयोग करनें से नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुचती है
- खेत के चारों ओर कंटीली तार, बांस की फंटियां या चमकीली बैंड का प्रयोग करके फ सल की सुरक्षा की जा सकती है।
- खेत की मेड़ों के किनारे पेड़ जैसे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, जिरेनियम, मेंथा, एलेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा का रोपण करके फसलों को नीलगाय से सुरक्षित रखा जा सकता है।
- खेत में आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा करने से रात में नीलगाय देखकर डर जाती हैं। रात में खेत की रखवाली करके भी फसलों की सुरक्षा की जा सकती है।
- नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड़ से एक मीटर अन्दर फ सलों पर छिड़काव करने से अस्थाई रूप से फ सलों की सुरक्षा की जा सकती है।
- एक लीटर पानी में एक ढक्कन फिनाइल के घोल के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है।
- गधों की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सड़ी सब्जियों की पत्तियों का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय को फसलों से दूर रखा जा सकता है।
- देशी जीवनाशी मिश्रण बनाकर फसलों पर छिड़काव करने से नीलगाय दूर भागती हैं।
दरअसल, जिले के लगभग हर विकास खंड में नीलगाय का आतंक है। किसानों की फसलों को ये नीलगाय खाकर और पैरों से रौंदकर नष्ट कर देते है। जिससे किसानों को खेती को लेकर काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इन्हें खेतों में न घुसने देने के लिए किसान प्रयास तो करते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलती है।
इस तरह बनायें हर्बल घोल
* नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए 4 किग्रा मट्ठा में आधा किग्रा छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पाच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी।इसे 15 ली. पानी के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है
* 20 लीटर गोमूत्र, 5 किग्रा नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़, फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 150 लालमिर्च पाउडर को एक डिब्बे में भरकर वायुरोधी बनाकर धूप में 40 दिन के लिए रख दें। इसके बाद एक लीटर दवा 80 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करने से महीना भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है। इससे फसल की कीटों से भी रक्षा होती है।
साभार: राधाकान्त (kisanhelp.in)