स्प्रिंकलर द्वारा सिंचाई
• स्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम में जल दबाव के साथ पाइपों में प्रवाहित होता है और बारिश की बून्दों की तरह खेत में स्प्रे होता है। इसे ‘ओवर हेड’ सिंचाई कहते हैं।
• विभिन्न प्रकार के स्प्रिंकलर सिस्टम प्रचलित हैं जैसे पोर्टेबल, सेमी-पोर्टेबल, सेमी-पर्मानेंट और पर्मानेंट। लेकिन बढ़ते श्रम और बिजली के लागत के कारण विभिन्न प्रकार के स्प्रिंकलर्स विकसित किए गए हैं।
• सेंटर-पाइवट एक बड़ा स्प्रिंकलर सिस्टम है और एक मशीन से 100 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है। सेंटर-पाइवट में पार्श्व पाइपों में बहुत से स्प्रिंकलर्स लगे होते हैं, 50 - 800 मी लंबा, माउंटेड होता है अथवा पांच या उससे अधिक मोबाइल टोअर्स द्वारा परिवहन किया जाता है।
• पाइवट पैड पर लैटरल का एक सिरा फिक्स होता है। सेंटर पाइवट के चारों ओर यूनिट घूर्णन करता है जहां जल को पाइप में पम्प किया जाता है, और लैटरल पर लगे स्प्रिंकलर से होकर पानी का स्प्रे होता है। इस पद्धति की सीमाएं है,
• वर्गाकार अथवा आयताकार खेत के लगभग 10 - 20 % भाग की सिंचाई नहीं पाती है।
• बिजली की अधिक आवश्यकता और उपकरण की कीमत अधिक होती है।
• वर्गाकार और आयताकार खेत की सिंचाई के लिए सेंटर-पाइवट सिस्टम में आने वाली समस्याओं को दूर करते हुए अब लैटरल-मूव सिस्टम विकसित किया गया है। यह सिंचाई पद्धति लैटरल-मूव सिस्टम का बना होता है जो खेत में ऊपर-नीचे घूमता रहता है।
• स्प्रिंकलर इरिगेशन का लाभकारी चयन निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है:
a. जब भूमि बहुत उथला हो और समतलीकरण की संभावना को खत्म करता हो।
b. जब भूमि खड़ी ढ़ाल वाली हो (> 1% ढ़ाल)।