कुआँ और रेहट से सिंचाई
बारिश कम होने से जिले के किसान परेशान हैं। जिसकी वजह से जिले में सिंचाई की समस्या बढ़ती जा रही है। जिसका मुख्य कारण यह भी है कि किसान अपने परंपरागत सिंचाई के साधनों का उपयोग नहीं कर रहे और पूरी तरह से नहरों और और सरकारी सहायता पर अश्रित होते जा रहे हैं। एक समय ऐसा भी था जब किसानों के खेतों में नहरों का पानी नही पहुंच पाता था। तो किसान अपने खेतों के समीप एक कुआं खोद कर उसमें लोहे की बनी रेहट नामक मशीन लगा देते थे और अपनी फसल की सिंचाई कर लेते थे। परन्तु धीरे -धीरे कुआं की संख्या में भी कमी आती गयी। सिंचाई का एक साधन रेहट किसानों से दूर होता गया। कहीं- कहीं यह मशीन देखने को मिलती है। लेकिन वह काम करने के लायक नहीं होती है। सिंचाई के इन छोटे -छोटे साधनों के विलुप्त होने के कारण ही जिले में के अधिकांश प्रखंडों क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या बढ़ती जा रही है। आज हर किसान को अपने खेत के पटवन हेतु सरकारी नलकूप नही मिल रहा है। सिंचाई के लिए सरकार के द्वारा व्यवस्था किये गये सभी प्रयास बेजान दिखाई पड़ रहे हैं। बता दे अब किसानों की खेती सिचाई पूर्णत: नहरों व पंम्पिग सेट के सहारे सिमट कर रही गयी है।