एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)
एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) एक पर्यावरण अनुकूल पहल है। इसका उद्देश्य लाक्षणिक, मशीनी और जैवकीय जैसी सभी उपलब्ध वैकल्पिक कीट नियंत्रण प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकीयों का इस्तेमाल करके कीटों की संख्या को एक आर्थिक सीमा के नीचे तक कम रखना और नीम से बनी दवाओं जैसे जैवकीय कीटनाशकों और पादप आधारित कीटनाशकों के इस्तेमाल पर जोर देना है। एक अंतिम उपाय के रूप में रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए सलाह दी जाती है, जब फसल में कीटों की संख्या एक आर्थिक सीमा रेखा के स्तर को पार कर जाती है।
एकीकृत कीट प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति
सघन फसल प्रणालियों के अधीन अधिक उपज वाली फसल की किस्मों का उत्पादन कायम रखने के लिए 1960 और 1970 के दशकों में पौधा संरक्षण का एकमात्र उपाय कीटनाशकों का अंधाधुंध और एकपक्षीय इस्तेमाल करना ही था। इसके परिणाम स्वरूप मानव जाति और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए जोखिम, पारिस्थितिकीय असंतुलन, कीटनाशकों के प्रति कीटों में प्रतिरोधक क्षमता का विकास, कीटों का बढ़ना और पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही कीटों के जैवकीय नियंत्रण एजेंटों का विनाश और मिट्टी, जल, खाद्य में कीटनाशक के इस्तेमाल में वृद्धि इनमें कीटनाशक स्तर बढ़ने जैसे कई कुप्रभाव पड़े।
वर्ष 1985 में भारत के तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री ने एकीकृत कीट प्रबंधन पर एक राष्ट्रीय नीति का विवरण तैयार किया था। बाद में राष्ट्रीय कृषि नीति-2000 और राष्ट्रीय किसान नीति-2007 ने भी एकीकृत कीट प्रबंधन का समर्थन किया। रासायनिक कीटनाशकों के प्रतिकूल प्रभाव का समाधान करने के उद्देश्य 12वीं योजना में योजना आयोग द्वारा भी इसका समर्थन किया गया था। खतरनाक रासायनिक कीटनाशक के इस्तेमाल में कमी लाने और कीटों के हमले के विरूद्ध उपाय करने के साथ ही फसल की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन कृषि और सहकारिता विभाग ने कुल मिलाकर फसल उत्पादन में पौधा संरक्षण की रणनीति के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत तथा मुख्य घटक के रूप में वर्ष 1991-92 में कीट प्रबधन को सशक्त बनाने और आधुनिकीकरण संबंधी पहल की शुरूआत की। एकीकृत कीट प्रबंधन कार्यक्रम के दायरे में भारत सरकार ने 28 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में 31 केन्द्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केन्द्र स्थापित किये हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना में एक ‘‘राष्ट्रीय कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी मिशन’’ तैयार किया गया जिसके अधीन वर्ष 2014-15 में एक ‘‘पौधा संरक्षण और पौधा पृथककरण उप-मिशन’’ शुरू की गई। भारत में कीट प्रबंधन संबंधी पहल को सशक्त बनाना और उसका आधुनिकीकरण करना इस उप मिशन का एक घटक बन गया है, जिसमें फसलों से संबंधित प्रशिक्षण और सेवा प्रदर्शन के माध्यम से एकीकृत कीट प्रबंधन को लोकप्रिय बनाने के लिए काम किया जा रहा है। इसमें पौधा संरक्षण प्रौद्योगिकी में जैवकीय नियंत्रण संबंधी पहल को बढावा पर भी जोर दिया जा रहा है।