ट्राईकोग्रामा
यह गहरे रंग का अत्यन्त छोटा ततैया कीट होता है जो किलेपिडोप्टेरा कुल के लगभग 200 प्रकार के हानिकारक धान, सूर्यमुखी, कपास, फूलों और सब्जियों में हानिकारक तना छेदक, फल भेदक, पत्ती मोड़क कीटों का जैविक विधि से विनाश करता है।
नियंत्रण विधि
मादा ट्राईकोग्रामा फसल को क्षति पहुंचाने वाले कीटों के अण्डे में अपने अण्डे देती है। बाद में इन अण्डों से छोटे डिम्ब (लार्वा) निकलते हैं, जो कि हाानिकारक कीटों के अण्डों के भागों को खा जाते हैं। अंत में इन पोषित अण्डों से व्यस्क ट्राईकोग्रामा ततैया निकलता है। एक ट्राईकोग्रामा ततैया हानिकारक कीटों के 100 कीटों को मार देता है।
प्रयोग विधि
जैसे ही आपको हानिकारक कीटों के अण्डे दिखाई दें, तुरन्त ही ट्राईकोग्रामा कार्ड को छोटे-छोटे टुकड़ों में फाड़ लें, साथ ही इन टुकड़ों की संख्या को बराबर खेत में विभिन्न वर्गों में विभक्त कर लें। खेत के प्रत्येक वर्ग के बीचों बीच पौधे की पत्तियों को जोड़ कर इन टुकड़ों को लगा देना चाहिए। ट्राईकोग्रामा कार्ड से व्यस्क कीट प्रायः सुबह के समय निकलते हैं और स्वतः ही पूरे खेत में फैलकर हानिकारक कीटों के अण्डों को खोजकर नष्ट कर देते हैं। परिणामों से पता चला है कि एक ट्राईकोग्रामा अपने चारों ओर लगभग 100 मीटर के घेरे में शत्रु कीट के अण्डों को खाकर नष्ट कर देता है।
भण्डारण
ट्राईकोग्रामा कार्ड को फ्रिज में 5 से 10 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखने पर संक्रमित व्यस्क ट्राईकोग्रामा ततैया को 15-15 दिन तक निकलने से रोका जा सकता है।
विशेष लाभ
ट्राईकोग्रामा शुद्धता एक मित्र कीट है।
यह हानिकारक कीटों को अण्डों की अवस्था में ही नष्ट कर देता है।
यह स्वयं ही हानिकारक कीटों की खोज करता है और उनका विनाश करता है।
यह फसल पर्यावरण जानवरों व अन्य लाभदायक कीटों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।
यह रासायनिक नियंत्रण से कम खर्चीला है।
हानिकारक कीटों को नष्ट करने का अत्यन्त सुरक्षित उपाय है-