ट्राईकोग्रामा
Submitted by Ashok Kumar on 5 February 2016 - 6:19pmयह गहरे रंग का अत्यन्त छोटा ततैया कीट होता है जो किलेपिडोप्टेरा कुल के लगभग 200 प्रकार के हानिकारक धान, सूर्यमुखी, कपास, फूलों और सब्जियों में हानिकारक तना छेदक, फल भेदक, पत्ती मोड़क कीटों का जैविक विधि से विनाश करता है।
नियंत्रण विधि
मादा ट्राईकोग्रामा फसल को क्षति पहुंचाने वाले कीटों के अण्डे में अपने अण्डे देती है। बाद में इन अण्डों से छोटे डिम्ब (लार्वा) निकलते हैं, जो कि हाानिकारक कीटों के अण्डों के भागों को खा जाते हैं। अंत में इन पोषित अण्डों से व्यस्क ट्राईकोग्रामा ततैया निकलता है। एक ट्राईकोग्रामा ततैया हानिकारक कीटों के 100 कीटों को मार देता है।
जैविक नियंत्रण विधि के लाभ
Submitted by Ashok Kumar on 5 February 2016 - 5:01pmइस विधि से परिस्थिति की एवं पर्यावरण की सुरक्षा होती है।
कीटनाशक एवं विषैले रसायनों से जल, वायु एवं भूमि की रक्षा होती है, साथ ही मनुष्य में होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है।
कीटों की प्रतिरोधिता एवं प्रजनन-क्षमता को कम करती है।
लाभदायक कीटों एवं मित्र कीटों को सुरक्षा प्रदान करती है।
विषरहित खाद्य पदार्थ उत्पादन प्राप्त होता है।
उत्पादन लागत में कमी होती है।
निर्यात में वृद्धि करने में सहायक।
कृषकों द्वारा ग्रामीण परिस्थिति में सुगमता से अपनाई जा सकती है।
कीटनाशकों से बढ़ती दुर्घटनाओं एवं स्वास्थ्य समस्याओं पर रोक लगती है।
साकेत मार्गदर्शिका जनवरी 2016
Submitted by Ashok Kumar on 27 January 2016 - 11:01amसाकेत मार्गदर्शिका जनवरी 2016 के प्रथम अंक का विमोचन करने सौभाग्य मुझे मिला मै अत्यंत रोमांचित हु।
पुरी साकेत टीम एवम् सजीव खेती के क्षेत्र में कार्यरत सभी किसान भाइयो को बधाई।
मेरी समस्त शुभकामनाएं
जहरमुक्त खेती के लिए किसान भाइयो व् सह्रदय रसायन मुक्त खाद्य पदार्थो के उपभोक्ता भाइयो के लिए...
हम अच्छा पैदा करे अच्छा खाये स्वस्थ रहे।
जैविक सजीव खेती ही सबके लिए कल्याणकारी हे।
कृपया डाऊनलोड कर पढ़े व् अपनी अमूल्य राय जरूर दे।
साकेत मार्गदर्शिका जनवरी २०१६ https://goo.gl/tPgCzY