बिना प्रमाणीकरण के भी जैविक खेती के उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलना संभव
प्रमाणीकरण उपभोक्ताओं को दिलाया जाने वाला लिखित विश्वाश है जिसके आधार पर उपभोक्ता बिना उत्पादक से सीधा संपर्क किये यह विश्वाश कर सकता है की वो जो उत्पाद खरीद रहा है उसका उत्पादन जैविक खेती के मानकों के अनुसार ही हुआ है। यह लिखित विश्वाश उन उपभोक्ताओं और आयतकों के लिए उपयोगी है जो दूसरे देशों में रहते है और हमारे देश में आकर उत्पादन को देख पाना व्यवहारिक नही है। अतः निर्यात के लिए बनाये गए उत्पादों का प्रमाणीकरण एक आवश्यकता हो सकती है किन्तु हमारे देश के एक अरब से भी ज्यादा उपभोक्ताओं को बिना प्रमाणीकरण के भी विश्वाश पैदा किया जा सकता है (उत्पाद के पैकेट पर बिना प्रमाणीकरण के "100 प्रतिशत जैविक" लिखना कानूनन अपराध है) यह बिश्वाश निम्न उपायों को काम में लेकर पैदा किया जा सकता है।
1. विक्रेताओ और उपभोक्ताओं को उत्पादन की प्रकिर्या दिखाकर
2. सबसे पहले उन्हें उपभोक्ता बनाकर जिनका आप पर विश्वाश हो ताकि दूसरों को विश्वाश दिलाने में सहायक हों।
3. सहकारी संघ बनाकर जिससे उस संघ के सभी किसान जैविक खेती करें और प्रचार किया जाए की इस संघ के सभी उत्पाद जैविक विधि से तैयार किये जाते है। किसी एक किसान की बजाय संघ या संस्था पर उपभोक्ताओं को विश्वाश करना आसान रहता है
4. बारानी क्षेत्रों में उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग बहुत कम होता है अतः वहां के उत्पादक इस बात का प्रचार कर सकते है की उनके उत्पाद सिंचित क्षेत्रों के उत्पादों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित है
साभार: अरुण कुमार शर्मा, जैविक खेती : नई दिशाएं