बीज प्रबंधन

बीजोपचार का कृषि मे महत्व

BeejUpchar, बीजउपचार

कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता उत्पादकता को बनाये रखने तथा बढ़ाने मे बीज का महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज का होना अनिवार्य है। उत्तम बीजों के चुनाव के बाद उनका उचित बीजोपचार भी जरूरी है क्यों कि बहुत से रोग बीजो से फैलते है। अतः रोग जनको, कीटों एवं असामान्य परिस्थितियों से बीज को बचाने के लिए बीजोपचार एक महत्वपूर्ण उपाय है।

बीजोपचार के लाभ

बोने से पहले ही आप पानी और नमक के घोल से पता कर सकते हैं कि बीज खराब या अच्छा।

अक्सर आपने देखा होगा कि आप बीज बाजार से खरीद कर लाएं और खेती में बो दिया। अब फसल तैयार होने के बाद पता चला कि कहीं पर फसल ज्यादा आई और कहीं पर कम। ऐसे में आमतौर पर आप किस्मत को ही दोष देते हैं। जबकि इसमें आपके ज्ञान की कमी ही असली कारण हैं। या यूं कहें कि आप बाजार से बीज लेकर आए, लेकिन दुकानदार ने बीज खराब दे दिया।

बोने से पहले ही आप पानी और नमक के घोल से पता कर सकते हैं कि बीज खराब या अच्छा।

बीजोपचार का कृषि मे महत्व

Seed Treatment

कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता उत्पादकता को बनाये रखने तथा बढ़ाने मे बीज का महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज का होना अनिवार्य है। उत्तम बीजों के चुनाव के बाद उनका उचित बीजोपचार भी जरूरी है क्यों कि बहुत से रोग बीजो से फैलते है। अतः रोग जनको, कीटों एवं असामान्य परिस्थितियों से बीज को बचाने के लिए बीजोपचार एक महत्वपूर्ण उपाय है।

बीजोपचार के लाभ

बीज संस्कार करने के सूत्र

बीज संस्कार करने के लिए छोटा सा सूत्र क्या हैं ? तीसरी जानकारी आपको देना चाहता हूँ कि अच्छी फसल लेने के लिए जो बीज आप खेत में डालते हैं, उस बीज को आप पहले संस्कारित करिए, फिर मिट्टी में डालिए। बीज संस्कार करने के लिए छोटा सा सूत्र बताना चाहता हूँ।

मान लीजिए आपको गेहूँ का बीज लगाना हैं। तो बीज ले लीजिए एक किलो। एक किलो बीज के अनुसार में ये सूत्र बता रहा हूँ। अगर बीज दो किलो है तो सबको दुगुना कर लीजिएगा। 

बीजोपचार एक महत्वपूर्ण क्रिया है

बीजोपचार एक महत्वपूर्ण क्रिया है जो कि बीज व पौधे को मृदा व बीज जनित बिमारियों व कीटों द्वारा होने वाले नुकसान से बचाता हैं।

हालांकि भारत में बहुत से किसान या तो बीजोपचार के बारे जानते ही नहीं या फिर इसको अपनाते नहीं हैं बीजोपचार रोग कीट प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसानों द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्य को अपनाने के लिए पूरे देश में प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है जिसमें कीट व रोग नाशक रसायनों, जैविक नियन्त्रण में शोध वृद्वि नियामकों एवं इनकी उपलब्धतता, सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जिससे किसान बीज व पौधे से संबंधित सामग्री को संरक्षित रख सके।

बीज अंकुरण की अखबार विधि

बीजअंकुरण की अखबार विधि बेहद कारगर होती है। इस तरीके से बीज दो से तीन दिन के अंदर अंकुरित हो जाते हैं। बाद में उन्हें खेत में जगह बनाकर बुवाई कर तुरंत पानी देना लाभप्रद रहता है। इसके लिए पहले अखबार को पानी से भिगोते हुए चार परत में मोड़ दे। इसके बाद उस पर थोड़ी दूरी के अंतर पर बीज रखकर अखबार को रोल कर धागे से बांधकर छाया में रखें। बीज में जड़ बनने पर उसे मिट्टी में रोप दें।

बीजमृत

बिजम्रित बीजों के शोधन के लिए बनता है ताकि बीज को ज़मीन से होने वाली बीमारी न लगे और मजबूत पौधा तैयार हो... बिजाम्रित बनाने क लिए १०० किलो बीज के लिए, ५ किलो देसी गाय का गोबर, ५ लीटर गोमूत्र, ५० ग्राम खाने वाला चुना , १ हाथ पुराने पेड़ की मिटटी और २० लीटर पानी. ये सब खोलकर २४ खंटे रखे, फिर इसमें से बीजों को धोकर हलकी धुप या छाँव में सुखाकर बीज की बुआई करे...

एक एकड़ भूमि शोधन

2 किलो ट्रायकोडर्मा 
2 किलो स्यूडोमोनास
को अलग अलग 50-50 किलो तैयार गोबर खाद में मिला कर ठंडी जगह छाँव में गोबर को फैला दें
उपयुक्त नमी के लिए पानी छिड़के
तीसरे दिन हाथ निकाल दो
पुआल से ढक कर रखें
15 दिन में आपके पास 50-50 किलो जीव होंगे ट्रायकोडर्मा और स्यूडोमोनास

शाम को सूरज ढलने के बाद  बुवाई के लिए तैयार खेत में फैला कर जुताई से मिटटी में मिला दो
अगली सुबह उपचारित बीज बो दें।

जहां ट्रायकोडरमा आपकी फसल को हानिकारक फफूंद से बचाता है 

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