जैविक कीट नियंत्रण

कीटनाशक खुद तैयार करें

एक एकड़ खेत के लिए अगर कीटनाशक तैयार करना है तो ः-
1) 20 लीटर किसी भी देसी गौमाता या देसी बैले का मूत्र चाहिए।
2) 20 लीटर मूत्र में लगभग ढार्इ किलो ( आधा किलो कम या ज्यादा हो सकता है ) नीम की पत्ती को पीसकर उसकी चटनी मिलाइए, 20 लीटर मूत्र में। नीम के पत्ते से भी अच्छा होता है नीम की निम्बोली की चटनी ।
3) इसी तरह से एक दूसरा पत्ता होता है धतूरे का पत्ता। लगभग ढार्इ किलो धतूरे के पत्ते की चटनी मिलाइए उसमें।
4) एक पेड़ होता है जिसको आक या आँकड़ा कहते हैं, अर्कमदार कहते हैं आयुर्वेद में। इसके भी पत्ते लगभग ढार्इ किलो लेकर इसकी चटनी बनाकर मिलाए।

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जैविक कीटनाशी दवाएं

1. नीमास्त्र

(रस चूसने वाले कीट एवं छोटी सुंडी इल्लियां के नियंत्रण हेतु) सामग्री :-

1. 5 किलोग्राम नीम या टहनियां
2. 5 किलोग्राम नीम फल/नीम खरी
3. 5 लीटर गोमूत्र
4. 1 किलोग्राम गाय का गोबर

बनाने की विधि

सर्वप्रथम प्लास्टिक के बर्तन पर 5 किलोग्राम नीम की पत्तियों की चटनी, और 5 किलोग्राम नीम के फल पीस व कूट कर डालें एवं 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलोग्राम गाय का गोबर डालें इन सभी सामग्री को डंडे से चलाकर जालीदार कपड़े से ढक दें। यह 48 घंटे में तैयार हो जाएगा। 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं।

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सर्वोत्तम कीटनाशक नीम

रासायनिक कीटनाशकों के कृषि, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विरोधी परिणामों को देखते हुए अब ऐसे वैकल्पिक कीटनाशकों के अनुसंधान पर जोर दिया जाने लगा है, जो

(१) मनुष्य एवं मानवेतर जीवों के लिए अल्प या शून्य हानिकारक तथा सुरक्षित हों

(२) जिसके जैवकीय विघटन होने से मिट्टी, जल एवं वायु दूषित न हों

(३) जिससे प्रतिकूल कीड़े ही मारे जा सकें, अनुकूल कीड़े नहीं

(४) जो लक्षित कीटों की प्रतिरोधी क्षमता विकसित न होने दे

(५) जो रासायनिक कीटनाशकों की अपेक्षा सस्ता, सहज प्राप्य एवं पार्श्व प्रभाव रहित हो

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जैविक कीटनाशकों से लाभ

  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण, जैविक कीटनाशक लगभग एक माह में भूमि में मिलकर अपघटित हो जाते है तथा इनका कोई भी अंश अवशेष नही रहता | यही कारण है इन्हें परिस्तिथतकीय मित्र के रूप में जाना जाता है |
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों एवं बिमारियों को मारते है जब की कीटनाशक से मित्र कीट भी नष्ट हो जाते है |
  • जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों/व्याधियों में सहनशीलता एवं प्रतिरोध नही उत्पन्न होता जबकि अनेक रसायन कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न होती जा रही है जिनके कारण उनका प्रयोग अनुपयोगी होता जा रहा है |

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