जैविक खेती के प्रमुख घटक

जैविक खेती , खेतो और किसानो के लिए वरदान

Organic Farming

Organic Farming जैविक खेती को नाम वैज्ञानिको ने दिया है क्योंकि वो वर्तमान में हो रही खेती को पारम्परिक खेती मानते है | वैसे अगर भारत की बात करे तो भारत में आजादी से पहले पारम्परिक खेती जैविक तरीके से ही की जाती थी जिसमे किसी भी प्रकार के रसायन के बिना फसले पैदा की जाती थी लेकिन आजादी के बाद भारत को फसलो के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए हरित क्रान्ति की शुरुवात हुयी जिसमे रसायनों और कीटनाशको की मदद से उन फसलो का भी भरपूर मात्रा में उत्पादन किया जाने लगा जिसके बारे में कभी सोच भी नही सकता था | हरित क्रान्ति के कारण गेंहू म ज्वार , बाजरा और मक्का की खेती में काफी विकास हुआ था |

मिश्रित खेती के होते हैं मिश्रित लाभ

मिश्रित खेती में मनुष्य, पशु, वृक्ष और भूमि सभी एक सूत्र में बंध जाते हैं. सिंचाई की सहायता से भूमि, मनुष्य और पशुओं के लाभ के लिए, फसलें और वृक्ष पैदा करती है और इसके बदले में मनुष्य और पशु खाद द्वारा भूमि को उर्वरक बनाते हैं. इस प्रकार की कृषि-व्यवस्था में प्रत्येक परिवार एक या दो गाय या भैंस, बैलों की जोड़ी और, यदि सम्भव हो तो, कुछ मुर्गियां भी पाल सकता है. थोड़ी सी भूमि में शाक-तरकारियां उगा सकता है, खेतों में अनाज आदि की फसलें पैदा कर सकता है और मेड़ों के सहारे घर-खर्च के लिए या बेचने के लिए फल देने वाले वृक्ष उगा सकता है.

जैविक खेती के मुख्य घटक

1.आच्छादान
(अ) मृदाच्छादन : हम जब दो बैलों से खींचने वाले हल से या कुल्टी (जोत) से भूमि की काश्तकारी या जोताई करते हैं, तब भूमि पर मिट्टी का आच्छादन ही डलते हैं। जिस से भूमि की अंतर्गत नमी और उष्णता वातावरण में उड़कर नहीं जाती, बची रहती है।
(ब) काष्टाच्छादन : जब हम हमारी फ़सलों की कटाई के बाद दाने छोड़कर फ़सलों के जो अवशेष बचते हैं, वह अगर भूमि पर आच्छादन स्वरूप डालते हैं, तो अनंत कोटी जीवजंतु और केंचवे भूमि के अंदर बाहर लगातार चक्कर लगाकर चौबीस घंटे भूमि को बलवान, उर्वरा एवं समृद्ध बनाने का काम करते हैं और हमारी फ़सलों को बढ़ाते हैं।