हरी खाद

हरी खाद के लाभ

  • हरी खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक शारीरिक स्थिति में सुधार होता है ।
  • हरी खाद से मृदा उर्वरता की भरपाई होती है
  • न्यूट्रीयन् टअस की उपलब्धता को बढ़ाता है
  • सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधियों को बढ़ाता है
  • मिट्टी की संरचना में सुधार होने के कारण फसल की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है ।
  • हरी खाद के लिए उपयोग किये गये फलीदार पौधे वातावरण से नाइट्रोजन व्यवस्थित करके नोडयूल्ज में जमा करते हैं जिससे भूमि की नाइट्रोजन शक्ति बढ़ती है ।

आदर्श हरी खाद

आदर्श हरी खाद में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

•           उगाने का न्यूनतम खर्च

•           न्यूनतम सिंचाई आवश्यकता

•           कम से कम पादम संरक्षण

•           कम समय में अधिक मात्रा में हरी खाद प्रदान कर सक

•           विपरीत परिस्थितियों  में भी उगने की क्षमता हो

•           जो खरपतवारों को दबाते हुए जल्दी बढ़त प्राप्त करे

•           जो उपलब्ध वातावरण का प्रयोग करते हुए अधिकतम उपज दे ।

हरी खाद बनाने के लिये अनुकूल फसले :

हरी खाद "एक वरदान"

मृदा उर्वरकता एवं उत्पादकता बढ़ाने में का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। सधन कृषि पद्धति के विकास तथा नगदी फसलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल बढ़ने के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चिय ही कमी आई लेकिन बढ़ते ऊर्जा संकट, उर्वरकों के मूल्यों में बृद्धि तथा गोबर की खाद एवं अन्य कम्पोस्ट जैसे कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्व और बढ़ गया है।