कैसे बिकता है प्रतिबंधित कीटनाशक?
आपसे बेहतर इस तथ्य को कौन समझ सकता है कि खेती के मामले में जहर पर हमारी निर्भरता कितनी बढ़ चुकि है। फसल उगाने से पहले खेत में जहर डालना शुरू करते हैं तो भण्डारण तक नहीं रूकते। बात यहीं खत्म हो जाती तो गनीमत था, अब तो फल-सब्जियों को पकाने और देर तक ताजा रखने के लिए भी जहर का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। एक आश्चर्यजनक सच्चाई यह भी है कि दुनिया भर में प्रतिबंधित कीटनाशकों को भारत में खुलेआम बेचा और प्रयोग किया जा रहा है। फल-सब्जियों पर इनके प्रयोग से न केवल कैंसर जैसी जान लेवा बीमारियों को सीधे न्योता दिया जा रहा है, बल्कि अल्सर, चर्म रोग, हृदय रोग, रक्तचाप जैसी बीमारी भी तेजी से फैल रही हैं।
फल-सब्जियों पर जहर के प्रयोग को रोकने के लिए राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली अब तक 27 से ज्यादा कीटनाशकों पर आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा चुकी है। इसके बावजूद पूरे देश में ऐसे कीटनाशकों की बिक्री बेरोकटोक जारी है। हालांकि राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देशभर के कृषि व फल वैज्ञानिकों को इन प्रतिबंधित दवाओं की सूची उपलब्ध करावा दी है। परिषद ने यह जिम्मेवारी कृषि वैज्ञानिकों को सौंपी हे कि वे किसानों को ऐसे कीटनाशकों के प्रयोग से होने वाले नुकसान से अगाह करें।
राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद ने 27 कीटनाशकों व कीटनाशक मिश्रण को जिनका प्रयोग भारत में होता है को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा दो कीटनाशक ऐसे जिनका भारत में उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है, पर इनका उत्पादन निर्यात के लिए किया जा सकता है। चार कीटनाशक मिश्रण ऐसे भी हैं जिनके उपयोग, उत्पादन व आयात को भी प्रतिबंधित किया गया है। सात कीटनाशकों को कंपनियों अथवा निर्माताओं द्वारा बाजार तक पहुंचने के पहले ही हानिकारक मानकर वापस ले लिया गया तथा 18 कीटनाशकों का तो निबंधन करने तक से मना कर दिया गया है। इसके अलावा 13 कीटनाशक वो हैं जिन्हें देश में कम इस्तेमाल करने की नसीहत दी गई है।
आपकी सुविधा के लिए उन 27 कीटनाशकों व कीटनाशक मिश्रण की सूची प्रकाशित है जिनके प्रयोग पर देश में प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें एल्ड्रिन, बेंजीन हेक्साक्लोराइड, कैल्शियम साइनाइड, क्लोरडेन, कापर एसीटोरसेनाइट, ब्रोमोक्लोरोप्रोप्रेन, एन्ड्रिन, इथाइल मरकरी क्लोराइड, इथाइल पैराथियान, हेप्टाक्लोर, मेनाजोन, नाइट्रोफेन, पांराक्वेट डाईमिथाइल सल्फेट, पेंटाक्लोरो नाइट्रोबेंजीन, पेंटाक्लोरोकेनोल, फिनायल मरकरी एसिटेट, सोडियम मैथेन अर्सोनेट, टेट्राडिफोन, टांक्साफेन ,एल्डीकार्ब, क्लोरोबंजिलेट, डाइब्रोमाइड, ट्राईक्लोरोएसिटिक एसिड, मेटोक्सारांन, क्लोरोकेनविनकांस है।
आंशिक प्रतिबंधित रसायन -मिथइल पैराथियान दो प्रतिशत धूल या 50 प्रतिशत ईसी फल व सब्जियों पर, मिथाक्सी इथाइल मर्करी क्लोराइड का प्रयोग आलू और गन्ने के बीज के लिए प्रयोग किया जाएगा, शेष पर प्रतिबंध, मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत सब्जियों पर और सोडियम साइनाइड केवल कपास के गूलर के लिए प्रयोग होगा, वह भी विशेषज्ञ की मौजूदगी में। डीटीटी सभी फसलों पर प्रतिबंधित, एल्यूमीनियमफास्फाइड 56 प्रतिशत के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध, आल्डिन बेंजिन हैक्सा क्लोराइड, केल्सियम साइनाइड, क्लोरोडेन, डाइब्रोमा प्रोपेन, इन्डिन 20 ईसी, इथाइल मर्करी क्लोराइड, हप्टा क्लोर, मेनाजोन नाइटोफेन, क्लोरोबेन्जीलेट, केप्टाफाल 80 फीसदी चूर्ण, मैथेमिल 125 प्रतिशत, एल फास्फोमिडान 85 प्रतिशत, कार्बोफ्यूरान 50 प्रतिशत के अलावा लिण्डेन और इण्डोसल्फान पूरी तरह से प्रतिबंधित।
धड़ल्ले से बिक रहे प्रतिबंधित कीटनाशक
कृषि विशेषज्ञों से मिली जानकारी अनुसार बिटाबैक्स नामक दवाई अमेरिका में प्रतिबंधित है और वहां से तैयार हो कर भारत में आ रही है। इसका प्रयोग यहां गेहूं में कीड़ा न लगने के लिए किया जाता है। प्रतिबंध के बावजूद कुछ रसायनों की बिक्री नाम बदलकर धड़ल्ले से हो रही है। इनमें से कुछ रसायन ऐसे हैं जो तत्काल और कुछ लंबे समय बाद अपना असर दिखाते हैं। जानते हैं उनके टेक्निकल नाम और वो नाम जिससे ये रसायन बाजार में बेचे जा रहे-
1. इथाइल मर्करी क्लोराइड--एगिसान, बैगलाल-6
2. मेथोमिल--रनेट, लैनेट, क्रिनेट
3. कार्बोफयूरॉन--प्यूराडान, अनुक्यूरान, डायफ्यूरॉन, सूमो, प्यूरी
4. फोरेट 10 प्रतिशत दानेदार--घन 10जी, अनुमेट फोरिल, फोरोटाक्स, बुकेर जी, पैराटाक्स, बेज इनमेट, वीरफोर
5. लिण्डेन गामा--लिसटाफ, देवीगामा, लिनडस्ट, केनोडेन, रसायन लिण्डेन, हिलफाल कैल्थेन, फलश कमाण्डो मेगाएडा
6. मिथाइल पैराथियान--पेरासिड 50, थानुमार, मेटासिड, फामिडाल चूर्ण, पैराटॉफ, धानुडाल, क्लोफॉस, क्लोरिसिड
7. मोनो क्रोटोफॉस-- विलकॉस, मोनोसिड, गार्जियन, मोनोधन, बलवान मनोहर, रसायन फॉस, लूफास, मोनोसिल आदि।
क्या कहता है कानून?
भारत सरकार ने प्रतिबंधित व निषिद्ध रसायनों की बिक्री रोकने के लिए सख्त कानून बनाएं हैं। कीटनाशक एक्ट 1968 की धारा 29 के तहत ऐसे रसायन बेचने वालों को दस से पचास हजार रुपये तक का जुर्माना या दो साल की कैद हो सकती है।