किसानों के लिए कुदरती विषमुक्त स्वदेशी कृषि
1. जैविक किटनाशक - पांच लिटर गौ मूत्र, 3 किलो ज्यादा बीज वाली तीखी हरी मिर्च या (लाल मीर्च एक किलो)आधा किलो लहसुन, नीम, भांग, धतुरा, आक, तंबाकू, ऐरण्ड, सीता फल के पत्ती, बेशरम, आनार इनमें से किसी तीन प्रकार के पत्ते को जो उपलब्ध हो तीन से पांच किलो के बीच ले सकते है इन्हें अच्छी तरह कूट पीस कर सबको एक मिट्टी के बर्तन में डालकर अच्छी तरह ढंककर बर्तन के आधे हिस्से को जमीन में गड़ा दे आधे भाग को जमीन से उपर रहने दे ताकि सूर्य की रोशनी मिलती रहे। दस ग्यारह दिन बाद छानकर निचोड़कर अलग कर ले। यदि किसी को तुरंत छिड़काव करना है तो दस ग्यारह दिन सड़ाने के बजाय सभी को कूट पीसकर मिला लें और धीमे आंच पर भी तैयार कर सकते है। इसे सौ से एक सौ पच्चीस लिटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़क सकते है।
2. जीरा, धनीया आदि कोमल नाजुक व संवेदनशील फसलो पर तो केंवल गौमूत्र छिड़कने से ही कीट मर जाते है।
3. फसलो पर जो तैला आ जाता है। उसके लिऐ दूध में थोड़ा गुड़ मिलाकर एक एकड़ के लिए तीन, चार लिटर दूध व एक किलो गुड़ पर्याप्त होता है।
4. फंगस के लिए 15-20 दिन पुरानी चार-पांच लीटर छांछ एक एकड़ के लिऐ पर्याप्त होता है।
5. फसलों मे विशेष रूप से सब्जियों में चमक व उपज बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनीयां साठ रूपये का एक ग्राम अर्थात् लगभग पचास हजार रू. किलो का जिबरेलीक एसीड बेचती है। इसके लिए एक एकड़ जमीन हेतु एक साल पुराने गाय के कंडे या उपलें लेकर दस पंद्रह लिटर पानी में डालकर एक ड्रम या मिट्टी के बर्तन में किसी पेड़ के निचे या छाया में कंहीं भी रख दें और सुबह शाम लकड़ी के डंडे से हिलाते रहे दस पंद्रह दिन में यह एक एकड़ के लिये जीवामृत तैयार हो जाता है यह जीवामृत जिबरेला ऐसीड से ज्यादा गुणकारी व लाभकारी है यह एक एकड़ के लिये पर्याप्त है।