सी.पी.पी. निर्माण सामग्री एवं विधि

काऊ पैट पिट

भूमि की जैव सक्रियता में वृद्धि हेतु यह एक प्रभावी उत्प्रेरक हैं | जिसमें बेक्टिरियल ,फंगल के विभिन्न परिवार व् समूह सी.पी.पी. दुआरा तीव्र मात्रा में बढ़ते हैं , साथ ही बी.डी. कम्पोस्ट खाद बनाने हेतु भी एक प्रभावी उत्प्रेरक है | मात्र 2 किलो बायोदायनामिक व्रहद इनोक्युल्म (सी.पी.पी.)से १ -१२५ टन कम्पोस्ट खाद ७०-९० दिनों में तैयार की जा सकती है |सी. पी. प्रयोग से खेती की तैयारी व् फल वृक्षों के थलों में भूमि की संरचना व् विशेषकर जैव सक्रियता में विशेष सुधार आ गया है |इसका प्रयोग बीज  शोधन ,जड शोधन व् भूमि शोधन में भी किया जाता है | जिससे अंकुरण में वृद्धि तथा व्याधियों के प्रति  सहिष्णुता बढाने में प्रभावी पाया गया है |सी.पी.पी.वर्ष में सुविधानुसार कभी भी बनाई जा सकती है |

 

सी.पी.पी. निर्माण सामग्री:

  1. किसी ऊँचे, जल निकास वाले उर्वर भू भाग में डेढ़ फुट लम्बा, एक फुट चौड़ा, एक फुट  ऊँचा आकर का पिट बनायें.
  2. इस पिट हेतु स्थानीय देशी दुधारू गाय का 40 कि.ग्रा. गोबर आवश्यक है
  3. 250 ग्राम अंडे के छिलके का महीन पाउडर ,बसोंल्ट(काले पत्थर का चूर्ण ), बोनमील ,गुड का भी मिश्रण उपयोग किया जाता है |
  4. सूप बी. डी. प्रेपरेशन 502-507 के तीन सेट

सी.पी.पी. निर्माण विधि ;

१. समतल भूमि के ऊपर ईंटो या पत्थरों का डेढ़ फुट लम्बा एक फुट चौड़ा तथा एक फुट ऊँचा पिट बनाये |

२. पिट को अंदर व् बहर से ताजे गोबर से लिपाई की जाये तथा लिपाई को अच्छी तरह सूखने दिया जाये |

३. दुधारू गाय के 40 किलो ताजे गोबर को एक बोरे या प्लास्टिक सीट में बहर साफ करे | ध्यान रहे की गोबर में घास के तिनके न हो तथा गोबर को मसल कर  भुर भुरा बना ले |

४. तत्पश्चात गोबर में 250 ग्राम अंडे के छिलके का महीन पाउडर तथा ब्सोल्ट या बोनमील मिलाये |

५. १०० ग्राम गुड को १ लीटर पानी में घोल बनाकर गोबर के ऊपर छिडके,  गोबर को अच्छी तरह से मिला ले और उसके मिलने के उपरांत बनाये गए पिट में भर दें |

६. पिट के अंदर गोबर में 3 – 5 लीटर पानी मिलाकर अच्छा घोल बना लें |

७. पिट के अंदर गोबर की ऊपरी सतह पर ‘सुपा बी.डी प्रेपरेशन 502-506’ को पांच छिद्र कर अंदर डालें |

८. ‘सुपा बी.डी प्रेपरेशन 507’ को एक लीटर पानी में 15 मिनिट तक घुमाकर पिट के अंदर मध्य भाग में तीन छिद्र बनाकर डालें तथा छिडकाव करें |

९. पिट के ऊपर दो लंबी लकड़ी रखकर जूट की बोरी से ढक दें |

१०. प्रत्येक सप्ताह देंखें की सतह पर दरार तो नही पड़ रही है अर्थार्त सुख तो नही रहा है, ऐसा होने पर 2-3 लीटर पानी ऊपरी सतह पर छिड़क दें तथा प्रति 15 दिन में दो बार उलट-पुलट कर दें |

११. 2-3 माह में सी.पी.पी. वातावरण के अनुसार पूर्णत: तैयार खाद हो जाएगी |

१२. खाद तैयार हो जाने पर उपरोक्त खाद को मिट्टी के घडे में भरकर नमी वाले स्थान में प्रयोग करने तक रखें |

जैविक खाद: