सी पी पी

सी पी पी ( Cow Pat Pit) या गाय के ताजे गोबर गोबर की खाद :-

जगह का चुनाव:-
ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ पानी जमा न होता हो एवं बरसात का पानी आसानी से निकल जाये। इसे किसी छायादार पेड़ के नीचे न बनायें। किसी कुएँ या तालाब के आस-पास बनायें। बनाने की जगह कोई नजदीक कोई विषैले पदार्थ या प्रदुषण न हो।

संसाधन: -
गाय का गोबर 70-80 किलोग्राम
अंडे का छिलका( पिसा हुआ) – 200 ग्राम
पत्थर का चूर्ण- 200 ग्राम
बायोडायनामिक कम्पोस्ट – 3 सेट
जला हुआ ईटा- 200 नम्बर
जूट का बोरा – एक

बनाने की विधि:-
3’ x 2’ x 1’ का एक गड्ढा बनाये जिसकी दीवार ईंट की दो परत हो| नीचे ईंट न बिछायें। अब 75-80 किलो ग्राम को साफ कर लें और उसमें 200 ग्राम अंडे के छिल्के का चूर्ण एवं 200 ग्राम पत्थर चूर्ण छिड़क दें और एक घंटे तक मिलायें। इस मिश्रण को गड्ढे में भर दें। इसमें बायोडायनामिक कम्पोस्ट के लिए इसमें पांच छेद रखें। ये छेद एक दूसरे से दूर होना चाहिए। इन छेदों में तीन ग्राम प्रत्येक बायोडायनामिक खाद को डालें और इसे गाय के गोबर से ढंक दें। बी० डी० 507 का 30 मी० ली० 1.5 लीटर पानी में लेकर 10 मिनट तक हिलायें एवं गड्डों में छिडकाव कर दें। इसे एक जूट के बोरे से ढंक दें|
बीस दिन के बाद गड्ढे से गोबर को निकल लें और कम से कम 30 मिनट तक मिलाने के बाद    फिर से डाल दें। इस क्रिया को 20-20 दिन के अन्तर पर तीन बार दोहरायें। एक तरह 60-70  दिनों में खाद तैयार हो जाएगी जो गहरे भूरे रंग की होगी और इसमें मिटटी की गंध होगी। इसे ठंडे एवं अंधेरी जगह में मिटटी के बर्तन में रखें|

उपयोग:-
खेत में:-1.25 किलो ग्राम खाद लेकर 37.5 लीटर पानी में मिलायें एवं 20 मिनट तक घड़ी की दिशा एवं उलटी दिशा में चलायें। इसके छिडकाव के समय बी० डी० 500 भी मिलाया जा सकता है। इसे खेत में एक वर्ष में चार बार तक दिया जा सकता है। अगर खेत में नमी रहे तो इतनी मात्रा एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है।
पौधों पर छिडकाव:- पांच किलो ग्राम खाद लें जो एक हे० के लिए पर्याप्त हो| इसे 60 लीटर पानी में घोलकर अच्छी तरह मिलाएं। इसका छिडकाव चंद्रमा के चढ़ते क्रम में सुबह के समय करें।

जड़ों के विकास हेतु:- पौधशाला में पौधों की कटिंग को पॉलीबैग  में लगाने के पहले खाद का पेस्ट लगा दें। इससे जड़ों का विकास शीघ्र होगा।

बीज में मिश्रण हेतु:- सी० पी० पी० लेकर उसे बीजों के उपर छिडक दें और अच्छी तरह मिलाएं। इसे छाया में सूखने दें। इस क्रिया से बीजों का अंकुरण अच्छा होगा एवं पौधों का विकास भी ठीक होगा। बीजों से होने वाले रोगों की रोकथाम हो सकेगी।

पेड़ों पर लेप करना: पेड़ों के कटने या उनके डाल पर लेप करने से रोग नहीं लगते

जैविक खाद: