जैविक खेती के लाभ

Organic Farming, Farming, Indian Farming, Non-Chemical

स्वस्थ भोजन :- 

यु.एस.ए. में जैविक और पारंपरिक खाने के पौष्टिक तत्त्व पर एक अध्यन के अनुसार, पूर्व ज्यादा स्वस्थ जनक है! सेब, नाशपती,आलू, मक्का, गेहू, और शिशु के खाने का विश्लेषण किया गया जिससे बेकार तत्त्व जैसे ऐल्यमिनीअम, कैड्मीअम,  लेड, और मर्क्यरी, और अच्छे तत्त्व जैसे बोरॉन, कैल्सियम, आयरन  और ज़िंक का पता लगाया गया. जैविक खाने मे २०% प्रतिशत कम बेकार तत्त्व और लगभग १००% प्रतिशत ज्यादा अच्छे तत्त्व होते है!

मिट्टी की गुणवत्ता मे सुधार:-

मिटटी की गुणवत्ता नीव है जिस पर जैविक खेती आधारित है! खेती के तरीको से कोशिश है की मिट्टी की उर्वरता का निर्माण और रखरखाव बना रहे! इसके लिए एकाधिक फसले उगाना, फसलो का परिक्रमण, जैविक खाद और कीटनाशक और न्यूनतम जुताई आदि तरीके है! मिट्टी मे मूल जैविक तत्त्व प्राकृतिक पौधो के पौष्टिक तत्त्वों से बना है, जो की हरी खाद, पशु का खाद, काम्पोस्ट और पौधो के अवशेष से बना है. ऐसी सूचना है की मिट्टी में जैविक खेती के दौरान कम घनत्व, उच्च जल धारण क्षमता, उच्च माइक्रोबियल और उच्च मिट्टी श्वसन गतिविधिया होती है.

यह संकेत करता है की जैविक खेती मे मायक्रोबियल गतिविधियों से फसलो को ज्यादा मात्रा मे पोषक तत्त्व प्रदान होते है!

फसलो की ज्यादा पैदावार और आय :-

नागपुर मे जैविक कपास का क्षेत्र परिक्षण से पता चलता है की रूपांतर की अवधि के दौरान कपास की उपज पारंपरिक तरीके, उर्वरक और कीटनाशक के इस्तेमाल और एकीकृत फसल प्रबंधन (५०% प्रतिशत जैविक और अजैविक के उपयोग से) तुलना में कम थी परंतू, तीसरे वर्ष से कपास की पैदावार बढ़ने लगी. कपास की पैदावार खेती के चौथे वर्ष से, जैविक खेती से ८९८, पारंपरिक खेती से ६२३ और मिश्रित खेती के तरीके से ७१० किलोग्राम प्रति हेक्टर होने लगी. सोयाबीन की पैदावार बाकि दो पद्धति की तुलना मे जैविक पद्धति से अधिकतम थी,देश के १०५० विभिन्न क्षेत्रो मे राष्ट्रिय परियोजना विकास और जैव उर्वरक   के प्रयोग के तहत यह प्रमाणित किया गया की फसलो की पौधे रोपण मे ५% प्रतिशत वृद्धि हुई, फलो की ७% प्रतिशत वृद्धि हुई, गेहू और गन्ने की फसलो मे १०% प्रतिशत की वृद्धि, बाजरा और सब्जियों मे १०% प्रतिशत वृद्धि, रेशा और मसाले मे ११% प्रतिशत की वृद्धि, तिलहन और फुल मे १४% प्रतिशत की वृद्धि, तंबाकू मे १५% प्रतिशत की वृद्धि हुई!

किट की भार मे घटाव :-

केन्द्रीय कपास अनुसंधान जो की नागपुर मे है, जैविक कपास का कीट पर असर के अध्यन के अनुसार जैविक खेती में अमेरिकेन बाऊवोर्म  के अंडे, लार्वा और वयस्क की संख्या कम होती है पारंपरिक खेती की तुलना मे देश मे जैव -नियंत्रण तरीके जैसे की नीम आधारित कीटनाशक उपलब्ध है! स्वदेशीय तकनिकी उत्पाद जैसे की, पंच्गव्य (पाँच उत्पाद जो की गाय उत्पत्ति पर आधारित है) जो की कृषि विज्ञानं विश्वविद्यालय, बैगलोर मे परीक्षण किया गया उसके अनुसार इसमे टमाटर मे विल्ट रोग का नियंत्रण प्रभावशाली होता है! 

रोजगार के अवसर :-

कई अध्ययनों के अनुसार, जैविक खेती मे पारंपरिक खेती प्रणाली की तुलना मे अधिक श्रम निवेश की आवश्यकता होती है. इस प्रकार भारत जहा श्रम बेरोजगारी और अल्प रोजगार की बहुत बड़ी संख्या है जैविक खेती को आकर्षण मिलेगा! इसके अलावा  क्यूंकि फसलो के विविधिकरण जैसे की अलग-अलग रोपण और कटाई के तरीके जिसके लिए और भी ज्यादा मजदुर लगते है, इससे समय-समय पर होने वाली बेरोजगारी की समस्या भी कम होती है

अप्रत्यक्ष लाभ:- 

जैविक खेती से कई अप्रत्यक्ष लाभ दोनों किसानो और उपभोक्ताओ के लिए उपलब्ध है! जबकि उपभोक्ताओ को बेहतर स्वादिष्ट स्वाद और पोषक मूल्यों के साथ स्वस्थ आहार मीलता है, किसान परोक्ष रूप से स्वस्थ मिट्टी और कृषि उत्पादन वातावरण से लाभान्वित होते है! पारिस्थितिक पर्यटन तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है और इटली जैसे देशो मे जैविक खेती पसंदिदा स्थलों मे परिवर्तित हो गए है. पारिस्थितिक तंत्र, वनस्पति, जीव और बढती जैव विविधता और मानवजाती के परिणामी लाभ के संरक्षण, जैविक खेती के महान लाभ है जो अभी तक ठीक से जिम्मेदार हो रहे है. 

साभार: http://www.greenvalueindia.org