अत्यधिक नाइट्रोजन से जमीन की उर्वरता पर असर

किसानों द्वारा इस्तेमाल किए गए नाइट्रोजन से पौधे मात्र 30 फीसदी एफ यूरिया का उपयोग करते हैं। फसल की माँग से अधिक उपयोग में लाया गया नाइट्रोजन वाष्पीकरण और निष्टालन के जरिये खत्म हो जाता है। नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग जलवायु परिवर्तन और भूजल प्रदूषण को बढ़ावा देता है। यूरिया जमीन में रिस जाता है तथा नाइट्रोजन से मिलकर नाईट्रासोमाईन बनाता है जिससे दूषित पानी को पीने से कैंसर, रेड ब्लड कणों का कम होना और रसौलियाँ बनती हैं। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ.

मिट्टी की जॉंच आवश्‍यक क्‍यों?

महत्‍व – जिस प्रकार मनुष्‍य एवं जानवरों को संतुलित आहार की आवश्‍यकता होती है, उसी प्रकार फसलों के लिये भी संतुलित आहार ( पोषक तत्‍वों) की आवश्‍यकता होती है। अत्‍यधिक एवं असंतुलित उर्वरकों तथा कृषि रसायनों के प्रयोग से खेत की मिट्रृटी मृत हो रही है या दिनों दिन उत्‍पादन क्षमता घट रही है। जिन क्षेत्रों में अधिक उपज वाली उन्‍नत, संशोधित (रिसर्च) एवं संकर किस्‍में उगाई जाती है वहॉं मिट्टी में आवश्‍यक पोषक तत्‍वों की कमी बहुत तेजी से होती है। अत: भरपूर उत्‍पादन लेने के लिए खेत की मिट्टी में उपलब्‍ध तत्‍वों की मात्रा एवं मिट्टी में स्‍वस्‍थ्‍य जानने के लिए मिट्टी परीक्षण (जॉंच) करना आवश्‍यक हो जा

पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद : वर्मीकम्पोस्ट

वर्मीकम्पोस्ट (vermicompost) एक ऐसी खाद हैं, जिसमें विशेष प्रजाति के केंचुओं द्वारा बनाई जाती है। केंचुओं द्वारा गोबर एंव कचरे को खा कर, मल द्वारा जो चाय की पत्ती जैसा पदार्थ बनता हैं। यही वर्मीकम्पोस्ट हैं। 

तशपर्णी अर्क

तशपर्णी अर्क (सभी तरह के रस चूसक कीट और सभी इल्लियों के नियंत्रण के लिए)

सामग्री :- 1. 200 लीटर पानी 2. 2 किलोग्राम करंज के पत्ती 3. 2 किलोग्राम सीताफल पत्ते 4. 2 किलोग्राम धतूरा के पत्ते 5. 2 किलोग्राम तुलसी के पत्ते 6. 2 किलोग्राम पपीता के पत्ती 7. 2 किलोग्राम गेंदा के पत्ते 8. 2 किलोग्राम गाय का गोबर 9. 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च 10. 200 ग्राम अदरक या सोंठ 11. 5 किलोग्राम नीम के पत्ती 12. 2 किलोग्राम बेल के पत्ते 13. 2 किलोग्राम कनेर के पत्ती 14. 10 लीटर गोमूत्र 15. 500 ग्राम तम्बाकू पीस के या काटकर 16. 500 ग्राम लहसुन 17. 500 ग्राम हल्दी पीसी

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