हरित क्रांति से उपजी भ्रांति

Agriculture, A.K.Sharma, Organic Farming

19वीं और 20वीं शताब्दी में जो अकाल पड़े उनमें अन्न की कमी नही थी वरन उसकी वितरण व्यवस्था की कमियां थी | साथ ही 800 वर्ष के विदेशी शासन ने इस व्यवस्था को काफी कमजोर किया तथा आक्रंताओ ने अपना हित सर्वोपरि रखा |

मिश्रित खेती के होते हैं मिश्रित लाभ

मिश्रित खेती में मनुष्य, पशु, वृक्ष और भूमि सभी एक सूत्र में बंध जाते हैं. सिंचाई की सहायता से भूमि, मनुष्य और पशुओं के लाभ के लिए, फसलें और वृक्ष पैदा करती है और इसके बदले में मनुष्य और पशु खाद द्वारा भूमि को उर्वरक बनाते हैं. इस प्रकार की कृषि-व्यवस्था में प्रत्येक परिवार एक या दो गाय या भैंस, बैलों की जोड़ी और, यदि सम्भव हो तो, कुछ मुर्गियां भी पाल सकता है. थोड़ी सी भूमि में शाक-तरकारियां उगा सकता है, खेतों में अनाज आदि की फसलें पैदा कर सकता है और मेड़ों के सहारे घर-खर्च के लिए या बेचने के लिए फल देने वाले वृक्ष उगा सकता है.

जैविक कीटनाशी दवाएं

1. नीमास्त्र

(रस चूसने वाले कीट एवं छोटी सुंडी इल्लियां के नियंत्रण हेतु) सामग्री :-

1. 5 किलोग्राम नीम या टहनियां
2. 5 किलोग्राम नीम फल/नीम खरी
3. 5 लीटर गोमूत्र
4. 1 किलोग्राम गाय का गोबर

बनाने की विधि

सर्वप्रथम प्लास्टिक के बर्तन पर 5 किलोग्राम नीम की पत्तियों की चटनी, और 5 किलोग्राम नीम के फल पीस व कूट कर डालें एवं 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलोग्राम गाय का गोबर डालें इन सभी सामग्री को डंडे से चलाकर जालीदार कपड़े से ढक दें। यह 48 घंटे में तैयार हो जाएगा। 48 घंटे में चार बार डंडे से चलाएं।

Organic Pesticide

यांत्रिक तरीको से करे नाशीजीवो का समन्वित प्रबंधन

1.फेरोमोन ट्रैप

बार बार रासायनिक कीटनाशको के प्रयोग के उपरांत भी कपास,मूंगफली,धान,दलहनी फसलो,तम्बाकु,सब्जियों,एवं फल वाले पौधे के बिभिन्न कीटो  का सफलतापूर्वक नियंत्रण नहीं हो पा रहा है| आधुनिक पद्धति यह है कि किसी नाशीजीव का नियंत्रण करने के लिए कम से कम रासायनिक छिडकाव , जैविक नियंत्रण के साधनों जैसे फेरोमोन ट्रैप (गंधपांस) आदि का समेकित उपयोग किया जाय ,जिसे एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कहते है| इस पद्धति में गंधपांश एवं गंध (लूर) का कीट की स्थिति का आकलन करने एवं नर पतिंगो को पकड़ कर नष्ट करने में अपना उल्लेखनीय योगदान है|

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