बायोगैस स्लरी

BioGas Slarry

बायोगैस संयंत्र में गोबर गैस की पाचन क्रिया के बाद 25 प्रतिशत ठोस पदार्थ रूपान्तरण गैस के रूप में होता है और 75 प्रतिशत ठोस पदार्थ का रूपान्तरण खाद के रूप में होता हैं। जिसे बायोगैस स्लरी कहा जाता हैं दो घनमीटर के बायोगैस संयंत्र में 50 किलोग्राम प्रतिदिन या 18.25 टन गोबर एक वर्ष में डाला जाता है। उस गोबर में 80 प्रतिशत नमी युक्त करीब 10 टन बायोगैस स्लेरी का खाद प्राप्त होता हैं। ये खेती के लिये अति उत्तम खाद होता है। इसमें 1.5 से 2 % नत्रजन, 1 % स्फुर एवं 1 % पोटाश होता हैं।

एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)

एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) एक पर्यावरण अनुकूल पहल है। इसका उद्देश्य लाक्षणिक, मशीनी और जैवकीय जैसी सभी उपलब्ध वैकल्पिक कीट नियंत्रण प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकीयों का इस्तेमाल करके कीटों की संख्या को एक आर्थिक सीमा के नीचे तक कम रखना और नीम से बनी दवाओं जैसे जैवकीय कीटनाशकों और पादप आधारित कीटनाशकों के इस्तेमाल पर जोर देना है। एक अंतिम उपाय के रूप में रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए सलाह दी जाती है, जब फसल में कीटों की संख्या एक आर्थिक सीमा रेखा के स्तर को पार कर जाती है।

एकीकृत कीट प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति

IPM

ट्राईकोकार्ड

ट्राईकोग्रामा नामक परजीवी मित्र कीट की मादा, हानिकारक कीट के अंडों के ऊपर अंडे देती है जिससे हानिकारक कीट के अंडों पर परजीवी मित्र कीट लार्वा नही बनने देता | एक दिन में यह अनुमानत: 100 अंडे चट कर जाती है

Tricho Card, Trichogarma

जैविक बनाम रासायनिक खेती

Mulching, Organic Farming

आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादा मात्रा में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक इस्तेमाल करने से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और उत्पादन बढ़ने से किसान का मुनाफा बढ़ सकता है। सरकार भी किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की सलाह देती है, लेकिन इस वैज्ञानिक विधि का अर्थ सिर्फ और सिर्फ रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल तक ही सीमित होता है। नतीजतन आए दिन हम विदर्भ, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें सुनते रहते हैं। इसके अलावा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से अनाज, सब्जियां, दूध और पानी, जो इंसान के जीवन का प्रमुख आधार हैं, जहरीले बनते जा रहे

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